किसका ख़याल आया है !
किसका ख़याल आया है !
अश्कों का सूखा समंदर फिर से भर आया है,
दिल के दर पर उसका अक्स नज़र आया है।
हसीं मौसम के साथ, मन में तूफान लाया है,
ना जाने आज ये, किसका ख़याल आया है!
ग़म-ए-ज़ीस्त में साथ छोड़कर चला गया था,
शायद फिर से ज़ख्मों को हरा करने आया है।
सुकूँ तो छीन गया अब साँस लेने भी आया है,
ना जाने आज ये, किसका ख़याल आया है !
