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Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract Tragedy Inspirational

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Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract Tragedy Inspirational

ज़ोया के जज़्बात

ज़ोया के जज़्बात

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दिल में नासूर बने ज़ख़्म का बेपनाह दर्द बने अल्फ़ाज़,

लिखना शुरू किया नहीं समझेगा कोई ज़ोया के जज़्बात।


चीख उठती है जो भीतर नहीं आती है उसकी कोई आवाज़,

कागज़-कलम ही बने मरहम और ज़ख़्म को दे रहे है राहत।


कोरा कागज़ सी बन गई थी ज़िंदगी स्याही के रंग से रही हूँ भर,

दुःखों सी अँधेरी रातों से अब उदित हुआ है सुख का नया सूरज।


अब नहीं रही किसीकी जरूरत 'ज़ोया' को है अब ख़ुद पे नाज़,

खोल दी ज़िंदगी की किताब अब नहीं रहा दिल में कोई राज़।


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