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Aishani Aishani

Abstract

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Aishani Aishani

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उत्सव मनाऊँ..

उत्सव मनाऊँ..

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दिल में एक उमंग उठी,

एक फुलझड़ी छुड़ा लूँ

अकेले, उदास मन को

थोड़ा बहला लूँ..! 

था, जिसका इंतज़ार

जाने कहाँ गया है वो बहार

इस ख़ुशी के उत्सव पर

 मैं क्या करूँ...? 

क्यों इस मन को तड़पाऊँ

उसके साथ नहीं तो 

अकेले ही फुलझड़ियाँ छुड़ाऊँ 

दूसरों को खुशियाँ बाटूं

अपने मन को हसाऊँ, 

हँस - गाकर दीप जलाकर

 दीपावली के अवसर पर

खुशियों के दीप प्रज्ज्वलित कर

 दीपावली का उत्सव मनाऊँ।


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