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Amita Mishra

Abstract

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Amita Mishra

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प्यार और नफ़रत

प्यार और नफ़रत

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तुमने गिनायी मुझमें लाख खामियां

कोई है जो मेरी खूबियों पे मरता है


तुम कहते हो कुछ नही आता तुम्हें

और वो मुझे लाजवाब कहता हैं


तुम्हें नही लगती अब खूबसूरत मैं

और वो मेरी झुर्रियों में मरता है


तुम्हारे लिए अमावस की रात सी हूं

और वो मुझे पूनम का चांद समझता है


तुमने थामा नही कभी हाथ मेरा 

और वो मेरी हथेली पर जान रखता है


तुम समझे ही नही मेरी भावनाओं को कभी

और वो मेरी हर एक आँसू की वजह जानता है


कितना अंतर है नफ़रत और प्रेम में है ना

एक मुझमें कमी तो दूसरा सिर्फ प्यार देखता है।


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