नारी
नारी
नारी चंचल होती है
नारी पुरुष का सम्बल होती है
नारी पुत्र और पुत्री को
जन्म देने वाली
पुरुष के सम्मुख खड़ी होती है
एक नारी को ही मातृत्व का
बोध होता है
एक नारी सृष्टि की तरह होती है
नारी पुरुष से श्रेष्ठ और रत्नों से
जड़ी होती है
मुसीबत के वक्त नारी पुरुष की
आदि शक्ति होती है
उदारता प्रेम समर्पण
नारी में अद्भुत शक्ति होती है
बेटी मांँ पत्नी दादी नानी
नारी सब रिश्तो में बड़ी होती है
नारी के बारे में और क्या कहें
नारी स्वयं पहेली होती है
पुरुष अगर नारी की तरह
सोचने लग जाए तो
नारी के प्रति हो रहे अत्याचार
में भी कमी होती है
नारी प्रेम और वात्सल्य से
बनी होती है
पुरुष बीज की तरह होता है
नारी उर्वरा भूमि की तरह होती है
नारी स्वयं में पूरा परिवार है
सबको वह जोड़े रखती है
नारी नर से सदैव श्रेष्ठ होती है
नारी चंचल होती है
नारी पुरुष का सम्बल होती है।