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Rajeev Tripathi

Tragedy

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Rajeev Tripathi

Tragedy

रस्मे उल्फ़त

रस्मे उल्फ़त

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चंद रोज़ से दिल बड़ा परेशान है

क्या यह मोहब्बत की निशानी है

या मोहब्बत की कोई पहचान है

नींद किसी करवट अब नहीं आती

बीमार सिर्फ़ हम ही हैं

या वह भी बीमार है

दिल के टुकड़े हम कितने करेंगे

सारे जहांँ का हम पर एहसान है

आपको तो वफ़ा करना भी नहीं आता

मुफ़्त में मोहब्बत बेचारी बदनाम है

सुकून ढूंढने से भी नहीं मिलता है

क्या यह भी इश्क़ की करामात है

गुज़रने वाले तो गुज़र जाएंगे

किसी को खो कर हम क्या पाएंगे

अभी नाराज़ हो तो कह दो हमसे

यक़ीन मानो बेमौत हम मर जाएंगे

वह दग़ा करके भी मासूम सा बैठा

इल्ज़ाम हम पर आ गया

तो किधर जाएंगे

एक मुद्दत से वो रूठा हुआ बैठा है

रस्मे उल्फ़त की हम फ़िर भी निभाएंगे

रस्मे उल्फ़त हम फ़िर भी निभाएंगे।


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