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Rajeev Tripathi

Romance

4  

Rajeev Tripathi

Romance

आहिस्ता आहिस्ता

आहिस्ता आहिस्ता

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हम गुलों से ख़ुशबुओं की

उम्मीद रखते हैं

चुभ जाएंगे हमें कांटे 

आहिस्ता आहिस्ता

अपने वादे से मुक़र गए जो

शख़्स बन गए वो ख़्याल

आहिस्ता आहिस्ता

यादें उनकी दिल से जाती नहीं

क्या करेंगे दिल का इलाज 

आहिस्ता आहिस्ता

वफ़ा की उम्मीद हुस्न वालों से

करना फ़िजूल

झेलनी पड़ेगी रज़-ए-उल्फ़त 

आहिस्ता आहिस्ता

हम-ख़्याल बन ना सके वो कभी

जो गाते उल्फ़त का राग

आहिस्ता आहिस्ता

दग़ा करते हैं रक़ीब के साथ मिलकर 

कर देंगे इश्क से हमें बेज़ार

आहिस्ता आहिस्ता

मिटा रहे हैं वो इनसान में हमारी हस्ती

कर देंगे हमें सपुर्द-ए- ख़ाक

आहिस्ता आहिस्ता।

 


 



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