कुछ रिश्ते अगर
कुछ रिश्ते अगर
कुछ रिश्तों को नाम देना बदनाम करने जैसा होता है
कुछ रिश्तों का बेनाम होना ही अच्छा होता है
कुछ रिश्ते बेहद मुकद्दस होते हैं
कभी एक ना होके भी हमेशा के लिए एक हो जाते हैं
अलग अलग ही सही एक दूजे के होने से ही
उनका होना होता है
होते हैं कुछ रिश्ते,
जैसे अंबर और धरा वो कभी एक नहीं हो सकते,
मगर पानी और प्यास का रिश्ता उनमें हमेशा होता है
जैसे राधा और कृष्ण, एक ना होकर भी प्रेम के धागे में गुथे होते हैं
जैसे कातिब का रिश्ता किल्क से होता है
जैसे ख्वाबों का रिश्ता पलकों से होता है
जैसे फूलों का रिश्ता खुशबू से होता है
जैसे हमारा रिश्ता, एक दूसरे का ना होकर भी
एक दूजे में खुद का होना महसूस होता है
कुछ रिश्तो को नाम देना बदनाम करने जैसा होता है
कुछ रिश्तों का बेनाम होना ही अच्छा होता है।