अद्भुत रचना हूं
अद्भुत रचना हूं
मैं इस धरती की अद्भुत रचना हूं,मैं नारी हूं......
शक्ति हूं, भक्ति हूं, माया हूं,ममता की छाया हूं.......
चाहे रस्मों के पिंजरे में लाख कैद करो मुझको,
एक दिन सपनों के पर लगा कर नील गगन पर लहराऊंगी.......
इतनी ताकत तो मैं रखती हूं.....
मैं खुद से ही खुद की पहचान बनाऊंगी,
करते हो जो तुम वो तुमसे बेहतर कर दिखाऊंगी.........
पड़ी है पैरों में जो रिवाजों की बेड़ियां,
तोड़ कर इन्हें एक दिन बंदिशों से परे एक नया जहां बसाऊंगी......
अपने सपनों को खुद पूरा कर सकूं, इतनी हिम्मत तो रखती हूं.......
मैं इस धरती की अद्भुत रचना हूं,मैं नारी हूं......
शक्ति हूं,भक्ति हूं,माया हूं,ममता की छाया हूं......