शायरी नहीं की जाती
शायरी नहीं की जाती
नारजगी से मैंने कहा,
कितने ही अल्फाजों के
रंग कागज पर बिखेरे हैं
तुम्हारे लिये..।
तुम कभी कुछ क्यूँ
नहीं कहते मेरे लिये।
उसने मुस्कुरा कर कहा,
कोई और हो तो
तारीफ की भी जाती।
तुम तो शायरा हो
इतना तो समझती ही होगी
गज़ल की तारीफ में
शायरी नहीं की जाती।