एक दूजे के पूरक
एक दूजे के पूरक
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समझदार हो तुम मगर नादान मैं भी नहीं
मुझे खुद से आगे तुम्हारे रहने का मलाल कहां है, मगर पीछे तो मैं भी रहूंगी नहीं.....।
साथ चलने की चाह है तुम्हें नीचा दिखाने की नहीं
एक दूजे के पूरक हैं हम तुम मुझसे ज्यादा मैं तुम से कम नहीं.....।
मिटा दो गर बोझ है जहां में अस्तित्व हमारा मगर जमाने में फिर वजूद तुम्हारा भी होगा नहीं.......।