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Chanchal Chaturvedi

Romance

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Chanchal Chaturvedi

Romance

क्यों हर कहीं है

क्यों हर कहीं है

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हां दिल यह जानता है मेरी जिंदगी में,

हाथ की रेखाओं में,

किस्मत की लकीरों में

तू कतरा भर भी कहीं नहीं है

फिर क्यों लगता है ?


हर सहर जो आफताब ई

रोशनी छू जाए मुझे तू यूं लगे कि तू है

यह शरारती हवाएं जुल्फों को लहरा कर,

कानों की बालियों को हिला कर,

मेरे गालों को चूम ले तो यूं लगे कि तू है


पतझड़ के गिरते पत्तों में,

सावन की फिसलती बूंदों में,

जादू की मीठी धूप में,

गर्मियों की ठंडी छांव में यूं लगे कि तू है


किसी शब महताबी नूर में,

कहकशां में, अर्श के सितारों में,

मेरी दुआओं के टूटते तारों में यूं लगे कि तू है

उफ्फ् दिल की कैफियत भी अजीब है


हां दिल यह जानता है मेरी जिंदगी में,

हाथ की लकीरों में,

किस्मत की रेखाओं में,

तू कतरा भर भी कहीं नहीं है

गर तू कहीं नहीं है,

फिर तू ही तू क्यों हर कहीं है।


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