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डॉ.निशा नंदिनी भारतीय

Inspirational

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डॉ.निशा नंदिनी भारतीय

Inspirational

मातृभूमि एक देवालय

मातृभूमि एक देवालय

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जीवन पथ पर चला पथिक 

ना जाने तू किधर चला। 

ध्येय मार्ग का पता नहीं 

टेढ़ी-मेढ़ी चाल चला।

लक्ष्य विहीन जीवन जीना 

जीवन का अपमान है।

भटकेगा तू कहां-कहां 

नहीं मार्ग का ज्ञान है।


जीवन की जटिलता में 

मत खोना परिचय अपना।

जन-जन की आवाज बनना

सोच समझकर कदम बढ़ाना।

जब-जब तुम्हें पुकारे देश

सर्वस्व निछावर तुम करना।

जन्म दायिनी मां से पहले

भारत मां की रक्षा करना।


जिस रज में लोट-लोट कर 

घुटनों के बल खड़ा हुआ।

उस लहू के कण-कण पर

पहला हक उस मां का हुआ। 

जिसकी नदियों का जल

तृषा तृप्त कर देता है।

जिसके खेतों का अनाज 

बलिष्ट बलवान बनाता है।


जिस स्वर्ण भूमि पर तुम

स्वतंत्र हो विचरण करते।

जिसके सागर के किनारे

खुली हवा में सांस लेते।

पेड़ पौधों की स्वच्छ वायु 

चिड़ियों का कलरव प्यारा।

पिक,शुक, केकी रव पर

निसार यह जीवन सारा।


बुलाते धान के हरे खेत

गेहूं की सुनहरी बालियां।

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होली,दिवाली,बैसाखी मेला 

गीत गाती विभिन्न बोलियां।

ढोल- नगाड़े- ताशे बजे 

खुशियों से घर-आंगन सजें।

रंग-बिरंगी वेशभूषा में 

मिलकर सारे नृत्य करें।


अमराइयों की छाया तले 

सावन के सजीले झूले पड़े।

हर मौसम में पर्व है अपना 

विश्व को लगता है सपना।

गिलहरी प्रयास सब करते  

थोड़ा-थोड़ा सब गढ़ते। 

मन में किसी के मैल नहीं

पर्व-त्यौहार गले मिलते।


हर मौसम के अपने मूल

शूलों में भी खिलते फूल।

भूमि रज लेने को आतुर

चढ़कर भू पर मिलते धूल।

फूलों पर तितली मंडराती

हर कली फूल बन जाती।

बच्चों की किलकारी गूंजे

बगिया गोकुल बन जाती।


बाल-गोपाल चराते गैया

माखन मिश्री देती मैया।

प्रातः सांझ सभी बेला

नहीं कहीं गोधूलि बेला।

फूल-पत्ते,जीव-जंतु 

जीवन का एक ध्येय।

अर्पण करें स्व जीवन 

मातृभूमि के हित श्रेय।


मातृभूमि एक देवालय

पवित्र मन से करें पूजा।

एक ध्येय यह जीवन का

इससे बढ़कर नहीं दूजा।


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