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Birendra Nishad शिवम विद्रोही

Inspirational

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Birendra Nishad शिवम विद्रोही

Inspirational

एक हवा के झोंके का बाकी है आना

एक हवा के झोंके का बाकी है आना

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जब आसमान पर छा जाए काले बादल,

अंधियारा हो जाये जमीं पर

न मुनासिब है दुबक कर बैठना तेरा,

उठ गाँव-घर की चौहद्दी कर....


थककर बैठ तू मत जाना

चौहद्दी करते जाना-करते जाना

छट जाएँगे ये काले बादल

बस एक हवा के झोंके का

बाकी है आना.. बाकी है आना.....

बारिश होगी अतिसार पड़ेंगे या ओले

न घबड़ाना तू इनसे,

लगे थकान तुझे तो, तू सोले

टूटे नींद जभी, तू अलसा मत जाना..

अलसा मत जाना...

रखना याद, बस एक हवा के झोंके का

बाकी है आना.. बाकी है आना.....

उतराएँगे नाले, कुछ हद तक नदियाँ

इनसे क्या घबड़ाना,

हृदय तुम्हारा सागर हो

लेना इन्हें समेट

तुम सागर सा बनते जाना..

बनते जाना....

रखना याद, बस एक हवा के झोंके का

बाकी है आना.. बाकी है आना.....

बन भाप तू भी उड़ जाएगा

तू ही बादल बन जायेगा

पर रखना याद, प्यासी

धरती को पानी दे जाना

शीतल बारिश तू करते जाना...

करते जाना....

पर काले बादल तू मत बन जाना...

मत बन जाना

रखना याद, बस एक हवा के झोंके का



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