उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र नरौली (गढ़ा) के पांचवी पास एक किसान श्री केशव प्रसाद के घर में जेष्ठ की तपती दोपहर सन 1986 में जन्म। माता श्रीमती देवसखी निरक्षर। तीन लड़कियों की शादी का बोझ उठाये पिता के लिए अपने तीन बेटों को स्कूल भेजने का सपना देखना भी भारी हो रहा था। ऐसे में... Read more
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र नरौली (गढ़ा) के पांचवी पास एक किसान श्री केशव प्रसाद के घर में जेष्ठ की तपती दोपहर सन 1986 में जन्म। माता श्रीमती देवसखी निरक्षर। तीन लड़कियों की शादी का बोझ उठाये पिता के लिए अपने तीन बेटों को स्कूल भेजने का सपना देखना भी भारी हो रहा था। ऐसे में पिता ने संघर्ष करके किसी तरह स्कूल भेजा। दो जून की मुश्किल से रोटी जुटाने वाले परिवार के लिए अपने बच्चे को पढ़ा लिखाकर बढ़ा आदमी बनाने का सपना देखना बड़ी बात थी। घर से स्कूल की दूरी 5 किलोमीटर थी, जहाँ तक एक छोटे से बच्चे को अपने भाई के साथ पैदल चलकर जाना होता था। इस तरह प्राइमरी सरकारी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा करने के पश्चात 9 वीं तक कि पढ़ाई घर से 7 किलोमीटर की दूरी पर राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से पूर्ण की। तत्पश्चात 14 वर्ष की आयु में आगे की पढ़ाई हेतु घर छोड़ दिया। 12 वीं तक की पढ़ाई घर से नजदीकी 20 किलोमीटर दूर कस्बा किशनपुर में स्थिति सर्वोदय इंटर कॉलेज से उत्तीर्ण किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढाई पूरी करने के बाद कानपुर विश्वविद्यालय के डीएवी ट्रैनिंग कॉलेज से प्रक्षिक्षित स्नातक किया। Read less