दोस्ती का पल भोला होता है
दोस्ती का पल भोला होता है
ये दिन बदल रहा है ये जीवन की राह कठिन हो रही है
बचपन की वो नादानी जो हम किसी भी लड़की से बात करते थे आज तो डर लगता है
मेरे पास ही वो रहती सुबह शाम अच्छी लगती है
मेरा मन कर रहा है बात करने का उसके पास जा ही रहा था कि हाथ काम नही कर रहे पैर आगे नही जा रहे किसी तरह पहुँच गया , सुनो मुझे कुछ बात करनी है मानो उसकी मुस्कुरान तो मुझे हिम्मत ही दे दी बोलो तुम बहुत अच्छी हो
अच्छा तुम भी कम नहीं , सुबह मिलना शाम को goodnight बोलना मानो एक पेशा ही बन गया ये सिलसिला तो अब बन ही गया था अब तो book की अदला बदला का काम भी हो गया था आज कुछ अच्छा नही लग रहा क्या करे
वो तो गांव चली गयी।
