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Birendra Nishad शिवम विद्रोही

Tragedy Inspirational Others

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Birendra Nishad शिवम विद्रोही

Tragedy Inspirational Others

कब तक सहती रहोगी तुम

कब तक सहती रहोगी तुम

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कब तक सहती रहोगी

और झुकती जाओगी अपने अक्ष पर

ऐ धरा अन्यायियों के भार से


तुम क्यों नहीं तनी

जब एकलव्य से

अँगूठा मांगकर कहा गया

तू शूद्र

तू नीच निषाद

शिक्षा लेगा हमसे


तुम तब भी झुकी रही

जब कर्ण से उसकी जात पूछकर

प्रतिभा दिखाने से रोक दिया गया


तुमने तब भी नहीं किया प्रतिकार

जब आम्बेडकर को

लोकतांत्रिक सरकार में भी

समझौता करने को कहा गया


तुम तब भी नहीं तनी

जब बापू के तीन बंदरों ने 

बाँट लिया अपना काम

न सुनना

न देखना

न कुछ कहना।


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