तेरा ही आसरा है माँ
तेरा ही आसरा है माँ
तेरा ही आसरा है माँ, तू ही मेरा सहारा है।
हुआ दर्द दिल में जब भी माँ, तुझे ही तो पुकारा है।
अजब-सा दिन ये कैसा है, ग़जब ये रात ढाती है।
बड़ा भारी है पत्थर माँ, मेरी कमज़ोर छाती है।
नहीं कुछ भी लगे अच्छा, बस तेरा साथ प्यारा है।
तेरा ही आसरा है माँ, तू ही मेरा सहारा है।।
अभी मासूम बच्चा हूँ, समझ न मुझ को तू सयाना।
छोड़ मासूमियत को माँ, पड़ा बड़ा है बन जाना।
बड़ा भोला बड़ा नादाँ, माँ ये तेरा दुलारा है।
तेरा ही आसरा है माँ, तू ही मेरा सहारा है ।।
हवाएँ सर्द मौसम की, चुभे जैसे नग्न तन को।
वैसा ही हाल मेरा है, याद छलनी करे मन को।
मगर न प्रण को तोड़ेंगे, यही तो 'प्रण' हमारा है।
तेरा ही आसरा है माँ, तू ही मेरा सहारा है ।।
नहीं आँखों में आँसू की, कोई भी बूंद आएगी।
धूल दुनिया की ना कोई, आँखों को मूंद पाएगी।
चित्र ना गंदा होगा वो, जो आँखों में उतारा है।
तेरा ही आसरा है माँ, तू ही मेरा सहारा है ।।
मेरा मन तेरे चरणों में रहे मुझ को यही वर दे।
जहाँ पर वास हो तेरा, माँ मुझ को तो वही घर दे।
मेरी नज़रों में मेरी माँ, बस तेरा ही नज़ारा है।
मेरा जीवन भी सँवरे माँ, तूने सबका सँवारा है।
तेरा ही आसरा है माँ, तू ही मेरा सहारा है ।।
तेरा ही आसरा है माँ, तू ही मेरा सहारा है।।।