डरपोक कौन
डरपोक कौन
हम तो डरपोक हैं
आप कौन हैं ?
आप भी डरते हैं
इसीलिए मौन हैं...
डरना बहुत ज़रूरी है
हम सबकी मज़बूरी है
पेट पालना सबको है
यही तो अब मज़दूरी है
न्याय नीति की बात न हो
कैसे जिएँ तुम ही कहो ?
कुछ बोलोगे फँस जाओगे
अच्छा है भई चुप ही रहो
शिक्षा का मतलब है जगना
कभी किसी से नहीं है डरना
कोई चाहे साथ ना आए
सत्यमार्ग पर तुझे है डटना
यदि समझता ख़ुद को शिक्षित
जीवन फिर क्यों जीता भिक्षित
अब होनी है तेरी कठिन परीक्षा
प्रथम ही आकर बनो परीक्षित
साँसें एक दिन छूट जानी हैं
जीवन बस बहता पानी है
धन-दौलत , पद , मान में डूबा
पर प्यारे सब आनी - जानी है
अब भी समय है सत्य का होले
बात न्याय की बस तू बोले
जो भी किया ग़लत वो छोड़ो
कर्म-गंगा से मल ये धोले
