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Ghanshyam Sharma

Tragedy Inspirational

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Ghanshyam Sharma

Tragedy Inspirational

उनका दर्द

उनका दर्द

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पशु पक्षियों का दर्द (शिकायत मनुष्य से)


मेरे हिस्से का निवाला छीन लिया 

मेरा दूध का प्याला छीन लिया 


मेरे हिस्से का जल सोख लिया 

मेरे हिस्से का थल सोख लिया 


कितना जंगल था मेरे हिस्से में 

अब तो बस कहानी किस्से में 


मेरे हिस्से का आकाश छीन लिया 

मेरे हिस्से का अवकाश छीन लिया 


मैं कब जोड़ता हूँ धन तुम्हारी तरह 

मैं कब तोड़ता हूँ मन तुम्हारी तरह 


मैं बेज़ुबान भले हूँ पर सब समझता हूँ

फ़ुर्सत मिले तो देखो आँखें, फफकता हूँ 


मेरे भी तो थे ये जंगल ज़मीन गगन पवन 

ये सागर ये किनारे ये लहरें ये उन्मुक्त मन


तूने सब छीन, विहीन किया, हम दीन

नहीं कोई उपाय, सहाय हुए गमगीन 


वक़्त बदलने का आया,संकेत मात्र ये है इतना 

नहीं ध्यान दिया तो होगा एक दिन सब रितना


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