शेरू
शेरू
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धोला-सा एक झबरू कुत्ता,
मैं उसका हूं ज़बरा फैन।
नमक हरामी कभी न करता,
रखवाली करता दिन रैन।
टांग टूटकर टेढ़ी हो गई,
फिर भी दौड़ लगाता है।
आवारा कुत्तों सांडों को,
ये तो रोज़ भगाता है।
इसके ही कारण हरियाली,
देवालय में छाई है।
वृद्धा दादी 'धन्नी देवी',
इसकी लगती माई है।
शैशव से पाला है इसको,
रोटी खूब खिलाती थी।
कभी ना डरने वाला देखकर,
शेरू कहके बुलाती थी।
अब भी दादी कहती शेरू,
दौड़-दौड़ कर आता है।
अपना स्नेह जताने को यह,
पुंछ को खूब हिलाता है।
अपना स्नेह जताने को यह,
पुंछ को खूब हिलाता है।।