STORYMIRROR

Jitendra Vijayshri Pandey

Tragedy

3  

Jitendra Vijayshri Pandey

Tragedy

जलगाँव की मासूम परी पायल

जलगाँव की मासूम परी पायल

1 min
308



हाय रे! नारी तू कैसी हो गयी,

खनकने वाली पायल की अब

खनखनाहट बंद हो गयी।

क्या कर दिया तुम तीनों ने

जो डॉक्टर जाति तक को भी

शर्मसार कर गयी।।

हाय रे!...


जलगाँव की परी आज ज़िंदगी

से रुख़्सत हो गयी,

जातिवादिता आज फिर एक बार

मासूम को निगल गयी।

गायनेकोलॉजिस्ट के अरमानों को

पालने वाली पायल

फ़ब्तियों के नासूर ज़ख्म से आज

हमेशा के लिए गुम हो गयी।।

हाय रे!...


हेमा, भक्ति, अंकिता नाम को भी

कलंकित कर गयी,

तुम सब तो नारी होने

को भी बदनाम कर गयी।

क्या जाति इंसानियत से

बड़ी हो गयी

तुम सबसे न जाने कैसे ये

हत्या हो गयी।।

हाय रे!...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy