सैनिक
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हमें अभिव्यक्ति की आज़ादी चाहिए,
आज़ादी भर नहीं स्वच्छंदता की हेकड़ी चाहिए।
अरे नासमझ! कभी आज़ादी का मतलब समझ
एहसास होगा कि हकीकत में तुझे क्या चाहिए।।
वो हैं तो हम हैं तुझे ये बात समझना चाहिए,
ज़्यादा पौरुष हो न तो सीमा पर लड़ने जाना चाहिए।
अरे नासमझ! कभी माँ-बेटे और पति-पत्नी का विछोह महसूस कर
एहसास होगा कि हकीकत में तुझे क्या चाहिए।।
अपने ऐशोराम के दायरों से बाहर निकलना चाहिए,
कुछ देर ही सही - तापमान में जाकर देखना चाहिए।
अरे नासमझ! सरहद पर एक प्रहर वो शख्सियत न हो न
एहसास होगा कि हकीकत में तुझे क्या चाहिए।।
