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Jitendra Vijayshri Pandey

Abstract

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Jitendra Vijayshri Pandey

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पानी पर बहते जाते हैं

पानी पर बहते जाते हैं

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पानी पर बहते जाते हैं,

फिर भी देश के लिए जां तक गंवाते हैं।

अपने नौनिहाल बच्चों तक से वो हीरे

शायद ही ढंग से मिल पाते हैं।।


पानी पर बहते जाते हैं,

फिर भी पानी पर पानी से हो जाते हैं।

सरल तरल और निश्छल होकर

देश के लिए अपना फर्ज़ निभाते हैं।


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