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दिनेश सिंहः नेगी

Abstract

4.5  

दिनेश सिंहः नेगी

Abstract

उठो नोजवानों

उठो नोजवानों

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उठो नोजवनों,वीरता है पुकारती

नजरों में हैं, आन-बान देश की।।

हर पल कर रहा यहाँ प्रहार

करनी ही होगी अब तेजधार

मातृभूमि पर जो आंख दिखाये

निकालो राणा चौहान की वो तलवार१


हम ना डरने वाले बन्दूकों से

ना ही डरेंगे बम- मिसाइलों से

नेस्तनाबूद करेंगे तेरे ना-पाक इरादों को

बना है हमारा जिश्म वतन-ए-सरफ़रोशी से२


छुपकर वे वार करते हैं

कायर होके भी अकड़ते हैं

करते हैं डटकर मुकाबला इन के

शहीद होते हैं वीर जवान देश के३


फायदा ना होता वार्तालाप से

देश है परेशान आतंकवाद से

हमें अब रण-बांकुरों को जगाना ही होगा

सर जमीं से दुश्मनों को उखाड़ना ही होगा४


उठो नौजवानों, वीरता है पुकारती

नजरों में हैं, आन-बान देश की।                


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