STORYMIRROR

दिनेश सिंहः

Inspirational Children

4  

दिनेश सिंहः

Inspirational Children

मैं पथिक

मैं पथिक

1 min
64

निरन्तर चलता हूँ

रुके ना कदम

थके ना हम


बाधाओं को पार

दिशाओं को चीर

चलना हुआ मुश्किल


दूर दिखें मंजिल

कदम उठाए चल

दो घुटनों के बल


चलचला चल

आएगा ना कल

दिखा कुछ जोश

खोजा आज होश


कुछ आहटो का एहसास

रख थोड़ा मन में विश्वास

मैं पथिक

निरन्तर चलता हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational