आओ जरा गुंजायें
आओ जरा गुंजायें
आओ जरा गुंजायें,
जन सैलाब रेलियों का
गुंजायें नारा जरा,
माँ भारती के नाम का
चल पड़े पूरा हिंदुस्तान,
कश्मीर की घाटियों में
हो गान वंदे मातरम का,
हर घर- गलियारों में
सिंध जो कल कल बहती,
वह उभरेगी कल सी
पंजाब की जो तरखाने है,
वह उभरेगी धार सी
बसुधा जो आएगी बनकर,
वीरांगना वीरों के संग
बनके झाँसी मिटा देगी,
आंतक का हर एक रंग
अगर दहल ना उठा,
शत्रु मुल्क तो कहना
अगर सिमट ना गया,
आंतकवाद तो कहना
देश एक है रेली एक है,
मिल के नारा गूंजेगा
हिंदुस्तान एक है एक ही रहेगा,
इतिहास तुमको ये बतलाएगा।
