खुशियों भरी सुबह
खुशियों भरी सुबह
खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी
उजड़े से इस गुलशन में फिर बहार आएगी
आँखों में है जो दर्द का सैलाब वो बह जाने दो
आशाओं के दीपक वहाँ झिलमिलाने दो
देखना जिन्दगी फिर सँवर जाएगी
खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी
दिल में बहुत हैं ग़म ये सबको है पता
जहां में सभी की है एक ही सी दास्तां
पतझड़ मगर जायेगा और बहार आएगी
खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी
घनी अंधियारी रात का सिरा दूर था
वक्त के हाथों इन्सां बेबस जरूर था
दामन में तेरे रोशनी फिर लहलहाएगी
खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी
इन्सां ही ढकेलेगा इस रात को परे
वो देखो उधर सूरज बड़ी तेजी से चढ़े
गुनगुनी सी धूप फिर से बिखर जायेगी
खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी
होगा नए सवेरे का इक नया सा आगाज़
दुनिया में सुख आयेगा लेकर नया अंदाज
दुनिया ये फिर हँसेगी, फिर खिलखिलाएगी
खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी
हिम्मत न हार बस तूमंजिल न दूर है
अब तो जो तेरा दर्द था वही थक के चूर है
दुख भरी ये घड़ी यहीं दम तोड़ जाएगी
खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी।