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Archana Saxena

Inspirational

4.1  

Archana Saxena

Inspirational

खुशियों भरी सुबह

खुशियों भरी सुबह

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424


खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी

उजड़े से इस गुलशन में फिर बहार आएगी


आँखों में है जो दर्द का सैलाब वो बह जाने दो

आशाओं के दीपक वहाँ झिलमिलाने दो

देखना जिन्दगी फिर सँवर जाएगी

खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी


दिल में बहुत हैं ग़म ये सबको है पता

जहां में सभी की है एक ही सी दास्तां

पतझड़ मगर जायेगा और बहार आएगी

खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी


घनी अंधियारी रात का सिरा दूर था

वक्त के हाथों इन्सां बेबस जरूर था

दामन में तेरे रोशनी फिर लहलहाएगी 

खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी


इन्सां ही ढकेलेगा इस रात को परे

वो देखो उधर सूरज बड़ी तेजी से चढ़े

गुनगुनी सी धूप फिर से बिखर जायेगी

खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी


होगा नए सवेरे का इक नया सा आगाज़

दुनिया में सुख आयेगा लेकर नया अंदाज

दुनिया ये फिर हँसेगी, फिर खिलखिलाएगी

खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी


हिम्मत न हार बस तूमंजिल न दूर है

अब तो जो तेरा दर्द था वही थक के चूर है

दुख भरी ये घड़ी यहीं दम तोड़ जाएगी

खुशियों भरी सुबह फिर मुस्कुरायेगी।


   

    


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