देश दुनिया
देश दुनिया
यूँ तो किस्मत की मैं धनी, ईश्वर की कृपा का पात्र भी हूँ
जब अवसर पाऊँ भ्रमण का तो, संकोच न करूँ लेशमात्र भी हूँ
समुद्र जब देखा भी न था तब भी सपनों में आता था
बिस्तर के सहित मैं तैरती थी, बचपन से बड़ा लुभाता था
सौभाग्य मिला, देखे समुद्र मेरे हृदय को वो अति भाये थे
किस्मत से जब मैं फ्रांस गयी नीले सागर लहराये थे
पानी वह गहरा नीला था
और चलते हुए वो श्वेत जहाज
कितना अद्भुत वह नजारा था जैसे जलपरियों का कोई राज्य
कनाडा का वह नियाग्रा फॉल यूँ तो घूमा है कई बार
पर जब भी मैं अवसर पाऊँ
हर बार हूँ जाने को तैयार
एफिल टॉवर भी देख लिया, स्टेचू ऑफ लिबर्टी भी
पीसा की वह टेढ़ी मीनार
सीएन टॉवर टोरंटो भी
इटली और स्विट्जरलैंड गई, अमरीका भी मैं हो आई
पर बोलूँगी इक सत्य यहाँ अपनी धरती ही मुझे भायी
मुझको तो भारत के पर्वत, झीलें आकर्षित किया करें
यहाँ अपनी मिट्टी की सुगंध जिस देश के लिए हम जिया करें
फिर चाहे हो कश्मीर या फिर हो चाहे वो कोडईकनाल
शिमला की ताजा हवाएँ हों
या फिर हो अपना नैनीताल
जब भी पाऊँगी मैं अवसर मैं देश विदेश तो जाऊँगी
पर अपने हिन्दुस्तान को मैं सदा अपने दिल में बसाऊँगी।