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Archana Saxena

Romance

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Archana Saxena

Romance

दिया और बाती

दिया और बाती

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ओ मेरे जीवनसाथी

तू दिया है मैं तेरी बाती

तू आशा का दीपक बन कर

जग में फैला उजियारा


मैं जलती रहूँ वर्तिका सी

मिट जायेगा सब अँधियारा

रोशन पहले अपनी दुनिया 

तब ही तो करें कुछ जग के लिये


जिस दिये में खुद ही तेल न हो 

वह कैसे जलेगा किसी के लिए

मेरा प्रेम लबालब तुझमे भरा

यह खाली नहीं कभी होगा


बस तू देता जा उजियारा

मिट जायेगा सारा अँधियारा

दिया बाती सा साथ है अपना

दूजे बिन हम कुछ भी नहीं हैं


हर धड़कन बस तुम्हें पुकारे

दूजा मेरा कोई नहीं है

हर साँस पे मैंने लिख डाला

केवल नाम तुम्हारा


मैं जलती रहूँ वर्तिका सी

तू देता जा उजियारा

हम दोनों ने मिल कर अपना 

यह परिवार बसाया है

जो नयी कोंपलें फूटी हैं


 उन पर भी प्यार लुटाया है

यह रोशन सदा तभी होगा

जब दीप से दीप जलायें हम

अपने नन्हे दीपों को खुद ही

 अपनी जगह दे पायें हम


जब दीप से दीप जलेगा

तब मिटेगा सारा अंधियारा

मैं जलती रहूँ वर्तिका सी

तू देता जा उजियारा।


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