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Praveen Gola

Romance

4.5  

Praveen Gola

Romance

ऐसा ख्वाब

ऐसा ख्वाब

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सारी रात तुम अपनी चाहतों का रँग लगाना ,
ऐसा ख्वाब अगर हो सके तो सच कर जाना |

आकर उस ख्वाब में मुझे हौले से छेड़ जाना ,
मैं कितना भी मना करूँ तुम ना घबराना |

तमन्नाओं को बेशर्म कर जब सामने लाना  ,
तब अपने प्यार का जोर से बिगुल बजाना |

मैं नादानी में अगर रो पढूँ तो मुझे मनाना ,
जैसे भी मुमकिन हो मुझे सब समझाना |

मेरा चाहतों के रास्ते पे हाथ छोड़ ना जाना ,
इन अधूरे ख्वाबों को हकीकत में लाना |

फिर जोश और होश दोनो का समन्वय बैठाना ,
और अपने सब अरमान हौले - हौले पिघलाना |

चरमसीमा पर पहुँच कुछ देर ठहर जाना ,
इतने सालों की चाहत को व्यर्थ यूँ ना बहाना |

चाहतें कितना भी बस करती जायें ,
तुम बस उस प्यार की बारिश में नहाते जाना |

सारी रात तुम अपनी चाहतों का रँग लगाना ,
ऐसा ख्वाब अगर हो सके तो सच कर जाना ||






 







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