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Praveen Gola

Romance

4  

Praveen Gola

Romance

ऐसा ख्वाब

ऐसा ख्वाब

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सारी रात तुम अपनी चाहतों का रँग लगाना,

ऐसा ख्वाब अगर हो सके तो सच कर जाना!

आकर उस ख्वाब में मुझे हौले से छेड़ जाना,

मैं कितना भी मना करूँ तुम ना घबराना!

तमन्नाओं को बेशर्म कर जब सामने लाना,

तब अपने प्यार का जोर से बिगुल बजाना!

मैं नादानी में अगर रो पढूँ तो मुझे मनाना,

जैसे भी मुमकिन हो मुझे सब समझाना!

मेरा चाहतों के रास्ते पे हाथ छोड़ ना जाना,

इन अधूरे ख्वाबों को हकीकत में लाना!

फिर जोश और होश दोनो का समन्वय बैठाना,

और अपने सब अरमान हौले - हौले पिघलाना!

चरमसीमा पर पहुँच कुछ देर ठहर जाना,

इतने सालों की चाहत को व्यर्थ यूँ ना बहाना!

चाहतें कितना भी बस करती जायें,

तुम बस उस प्यार की बारिश में नहाते जाना!

सारी रात तुम अपनी चाहतों का रँग लगाना,

ऐसा ख्वाब अगर हो सके तो सच कर जाना!!


 


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