तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
जैसे तोहफ़े हज़ार
जैसे इत्र की बौछार
जैसे ग्रीष्म में साया
जैसे तरुवर की छाया
जैसे पूर्णिमा की रात
जैसे मधु की बरसात
जैसे सुरीला गीत
जैसे गुनगुनी शीत
जैसे फूलों का स्पर्श
जैसे जमीं से अर्श
जैसे रंगों का त्योहार
जैसे खुशियों का भंडार
जैसे भोर की लाली
जैसे पूजा की थाली
जैसे भ्रमर का गुंजार
जैसे प्रथम मेघ फुहार
जैसे सोंधी सी सुगंध
जैसे आत्मा का बंध
जैसे प्रेम की पाती
जैसे दीप और बाती
जैसे नाचता मयूर
जैसे दिव्य कोई नूर
जैसे अमर सा संगीत
जैसे प्रीति हो पुनीत
जैसे जलधि का ज्वार
जैसे ईश्वर का द्वार
जैसे पुष्प भरी राह
जैसे मन की अमर चाह
जैसे हृदय का लगाव
जैसे अलौकिक स्वभाव
जैसे रवि का प्रकाश
जैसे अपरिमित आकाश।