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Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी

Romance

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Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी

Romance

गजल सगीर

गजल सगीर

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घर से जाते हो मगर याद हमें भी रखना.

एक लम्हा अगर गुजरे लगे सदियां गुजरे।



 तुम ने छुआ था यार जो नाजो अदा के फूल।

दिल को हमारे भा गए शर्म ओ हया के फूल।


खुशियों को अपने लफ्ज़ कभी दे सका न मैं।

उसने दिया था मुझको जब मेरी वफा के फूल।


वह शख्स किसी शख्स का भी हो नहीं सकता।

रखता है किसी के लिए जो भी जफा के फूल।


मंजिल को अपने पा गया जो घर से चल पड़ा।

हौसले के साथ जो मां की दुआ के फूल।


शख्सियत निखार के लाता है हौसला।

मिल जाए जब किसी को भी सब्रो रजा के फूल।


नफ्स की परस्ती हम रखते नहीं सगीर।

मैंने मसल दिए हैं खुद अपने अना के फूल।


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