STORYMIRROR

सतीश कुमार मीणा

Abstract Romance Inspirational

4  

सतीश कुमार मीणा

Abstract Romance Inspirational

मैं चांद चुराकर लाया हूं

मैं चांद चुराकर लाया हूं

1 min
447

तुमने तो मेरी बात ना सुनी,

मैं कुछ लेकर आया हूं।

मेरे हमसफर तेरे लिए,

मैं चांद चुराकर लाया हूं।।


तुम तो मेरी उम्र के लिए,

बिन पानी रह जाती हो,

भूखी प्यासी देह से मेरे,

कंठ को तर कर जाती हो,


एक छोटे करवे का पानी,

तुमको तृप्त कर देता हैं,

पर मेरे मन को तेरा त्याग,

क्षण भर में हर लेता है,


मैं कर्ज चुका ना पाऊंगा,

फिर भी कुछ देने आया हूं।

मेरे हमसफर तेरे लिए, 

मैं चांद चुराकर लाया हूं।।


तुम मेरी अर्धांगिनी हो,

आधा अंग कहलाती हो,

संगिनी हो जीवन की मेरी,

क्यों चरणों में गिर जाती हो,


पूरे ब्रह्मांड में तारे बहुत थे,

कहीं से एक चांद निकलना था,

मेरी किस्मत की रेखा को,

तेरी चांदनी से चमकना था,


मेरे हृदय का टुकड़ा हो तुम, 

धड़कन मेरी, मैं साया हूं।

मेरे हमसफर तेरे लिए,

मैं चांद चुराकर लाया हूं।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract