अपनापन
अपनापन
मेरे दिल में तुम्हारे लिए अपनापन है,
पर ज़ाहिर करूं मेरी फितरत नहीं।
तुम्हें मेरा घूमना बेवजह लगता है,
पर वजह जानने की तुम्हें फुरसत नहीं।।
मैं कद्र करता हूँ और करता रहूंगा,
प्रेम के पन्नों को रोज पलटता रहूंगा।
इस दिल की धड़कन को फिर से सुनो,
कान कच्चे हैं तो ख़याली बातें ना बुनो।
मेरे सीने में इश्क़ के घाव गहरे हैं,
उन पर मुहब्बत के मरहम की जरूरत नहीं।
हर घड़ी तुम क्या सोचती हो पता है मुझे,,
बेफिक्र रहो,मेरी रुह में बदलने की हरकत नहीं।।
मेरे दिल में तुम्हारे लिए अपनापन है,
पर ज़ाहिर करू मेरी फितरत नहीं।
तुम्हें मेरा घूमना बेवजह लगता है,
पर वजह जानने की तुम्हें फुरसत नहीं।।