तू ही तो हैं
तू ही तो हैं
मुझे ममत्व का पाठ पढ़ा के,
वो मुझे हृदय में बसाती है।
जब आंखों से ओझल होऊं,
नयनों में आंसू ले आती हैं।
उस प्रेम के, उन भावों की,
मैं कीमत नहीं चुका सकता।
तू ही तो है मेरी जन्मदात्री,
तेरा हाथ सदा सिर रहता।।
मां! मैं बाती और तू है दिया,
तेरे तेल से ही तो जलता हूं।
तेरी थाली की रोटी को ही,
मैं खाकर पग-पग चलता हूं।
उस दूध, अन्न से बनी देह को,
तेरे चरणों में झुका के रखता।
तू ही तो है मेरी जन्मदात्री,
तेरा हाथ सदा सिर रहता।।