कभी खुद का रूप भी न निहार सके बेगैरत जी तो लिया पर मौत न पा सके। कभी खुद का रूप भी न निहार सके बेगैरत जी तो लिया पर मौत न पा सके।
और तब आलोकित हो जाता है मेरा सारा तम मय जीवन...। और तब आलोकित हो जाता है मेरा सारा तम मय जीवन...।
अब कर्जों में बैठा थाती हूँ हाँ अब मैं प्रवासी हूँ। अब कर्जों में बैठा थाती हूँ हाँ अब मैं प्रवासी हूँ।
टिमटिमाती दिया हूं पर रौशनी मुझमें नहीं। टिमटिमाती दिया हूं पर रौशनी मुझमें नहीं।
डूबता सूरज कहे बस, यही बारम्बार..। डूबता सूरज कहे बस, यही बारम्बार..।
दीप कहाँ जलता, बाती है जलती। दीप कहाँ जलता, बाती है जलती।