STORYMIRROR

Sunita Mishra

Abstract

3  

Sunita Mishra

Abstract

दीप कहाँ जलता है

दीप कहाँ जलता है

1 min
181

तिल तिल कर बाती बढ़ती

अन्धकार से पल पल लड़ती

घूंट घूंट भरती तेल

सांस में दीप कहाँ जलता,

बाती है जलती।


गहन तिमिर,

पथ अन्धियारा जलती

जाती कर लौ उजियारा

चाँद छुपा रात की गोदी में

बाती करती जग रोशन सारा।


अमर दीप, बाती ने जीवन हारा

सब दीपक का गुण गाते

बाती का त्याग समझ न पाते।


दीपक को जीवन देकर

प्राण त्यागती हँसते हँसते।

दीप कहाँ जलता,

बाती है जलती।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract