स्वेटर
स्वेटर
सलाईयाँ स्वेटर नहीं बुनती
बुनती है सपने।
फंदे से फंदे बाँधती
जोड़ती है खुद को,
रिश्तों से
माँ की उंगलियाँ
नाचती सलाई पर
उधेड़ती,बुनती,खेलती,
फंदे से,बच्चों को प्रेम
का हिसाब देती है
डिज़ाइन खोजती,
सबसे अलग हो सोचती
प्रिय के दिल को हो छूता
सलाईयाँ ऊन से खेलती।
यादों में रम कर
पीहर के गोले को,
फंदे में गिन गिन उतारती
भाई पहनेगा ,जतन से
राखी का प्यार संवारती ।