STORYMIRROR

Sunita Mishra

Abstract

3  

Sunita Mishra

Abstract

उठो धरा अलबेली

उठो धरा अलबेली

1 min
379

उठो धरा अलबेली

मल मल चंदन लेप लगाओ

हरित वसन से देह सजाओ


भवरों की गुन गुन संग

इत्र पराग लगाओ

पुष्पों के आभूषण हो

केसरिया बिन्दी सजाओ।


मलयानल की सिहरन

होठों पर संगीत बजाओ

रंगीन तितलियों की पायल

छनक छन गीतों को गाओ।


मेघराज द्वार पर खड़े तुम्हारे,

चंदन कुंकुं तिलक लगाओ

उठो धरा अलबेली

कर लो स्वागत

बनकर दुल्हन नयी नवेली।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract