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Sunita Mishra

Others

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Sunita Mishra

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बारिश

बारिश

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बारिश आई

संग अपने ,

कुछ खुशियाँ

कुछ दिक्कत लाई।

मौसम ने बदली करवट

हरियायी धरती

ताप अगन बुझाई।

जल रस से

तृप्त हुई धरा

पौधो में नव जीवन लाई।

बूंदे नाच रही छम छम

पुरवाई ने तान सुनाई।

मन के मंजीरे बजने लगे,

ठंडी बौछारों ने विरहा की आग लगाई।


अति वृष्टि से

जलमग्न हुई सृष्टि,

सुखिया के छप्पर से लेकर

दीनू के खेतो तक

वृष्टि ही वृष्टि।।

टूट रहे पुल

बहती लाशे

मंजर देख देख ये

भीग रही है दृष्टि।।



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