रक्तबीज कोरोना
रक्तबीज कोरोना
रक्तबीज बनकर कोरोना, इस दुनिया में छाया है
मानव की बर्बरता ने, जग में इसको फैलाया है।
शुद्ध,अशुद्ध,भक्ष्य,अभक्ष्य जो मर्जी वो खाते हैं
खुद हम ही इस दुनिया में, नए वायरस लाते हैं।
जहां गंदगी होती है, ये पहले वहीं पे जाता है
एक व्यक्ति को छूने से, ये दूजे को हो जाता है।
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, सबपर देखो ताला है
इस रक्तबीज दानव से, कोई ना बचने वाला है।
वही बचेगा शेष, जो धर्म सनातन अपनाएगा
जो ना तो गले मिलेगा, ना ही हाथ मिलाएगा।
हम सबको मिलकर के, इस दानव को हराना है
बस कुछ दिन तक अपने, घर में ही रुक जाना है।
मुंह को ढँको मास्क से और करो तुम सबसे दूरी
हाथों को साबुन से धोना, अब तो है बहुत जरूरी।
पुलिस-डॉक्टर डटे हुए हैं, बनकर के भगवान यहां
लेकिन वो खुद पहुंचें, तुम्हीं बताओ कहां-कहां।
हम सबको भी इस जंग में, अपना फर्ज निभाना है
कोरोना को बिना हराए, अब ना बाहर जाना है।
गर सरकारी निर्देशों को हम विधिवत अपनाएंगे
एक दिवस इस रक्तबीज को तय है हमीं हराएंगे।