नूतन प्रकाश हो !
नूतन प्रकाश हो !
नवल वर्ष नूतन प्रकाश हो,
नई दिशाएं नव प्रभात हो।
गगनांगन में तारापथ पर,
अभिनव जीवन का विकास हो।।
नवल वर्ष ....
नए नए उपमान अचंचल,
हरित प्रभाती पिंगल अंचल।
धरती का महके हर कोना,
हर्षित ऋतुएँ करती हलचल।।
भूल ना पायें निज का गौरव,
सुख की वर्षा आस-पास हो।
नवल वर्ष.....
नई चेतना नव उमंग हो,
नया सृजन चंचल तरंग हो।
नई मंजरी मुकुलित उपवन,
भ्रमर केलि विहंसित अनंग हो।।
मादक मन के भाव सुगन्धित,
नया मिलन घन बाहुपाश हो।।
नवल वर्ष ...
नया राग हो नई तान हो,
नई विधा में साम गान हो।
गौरव पूर्ण कर्म हों सबके,
अपना अपना स्वाभिमान हो।।
कभी ना उलझें हम प्रमाद में,
ज्ञान शिखा से तम विनाश हो।।
नवल वर्ष ....
नई लहर कलकल निनाद हो,
कभी ना उर उपजा विषाद हो।
अधर अधर मुस्कान भरी हो,
हम मिलकर के एक साथ हों।।
सुर में सुर का मेल अनोखा,
हर मास में चिद विलास हो।।
नवल वर्ष नूतन प्रकाश हो,
नई दिशाएं नव प्रभात हो।।
