डिज़ाइन खोजती, सबसे अलग हो सोचती प्रिय के दिल को हो छूता सलाईयाँ ऊन से खेलती। डिज़ाइन खोजती, सबसे अलग हो सोचती प्रिय के दिल को हो छूता सलाईयाँ ऊन से खेलती।
उधेड़ दिया अन धागों को उधेड़ दिया अन धागों को
फंदे पर लटकने से पहले न जाने उसने खुद को कितना कोसा होगा। फंदे पर लटकने से पहले न जाने उसने खुद को कितना कोसा होगा।
क्यों मुझको कूदना पड़ता है? क्यों मुझको झुकना पड़ता है? क्यों मुझको कूदना पड़ता है? क्यों मुझको झुकना पड़ता है?
साल भर किसान खेत में खून पसीना बहाता है फसल की खातिर मकान भी गिरवी रख देता है साल भर किसान खेत में खून पसीना बहाता है फसल की खातिर मकान भी गिरवी रख देता ह...