गांठ लगे धागे
गांठ लगे धागे
उधेड़ दिया अन धागों को
जो गाले में फंदे की तरह
फस रहे थे, मुखौटें पहने
रिश्तों दोगलापन दिखा
रहे थे। गीले शिकवे तो
मिटाएं जा सकते है,
मगर वो पीठ पर छुरी
जो घोप दी गए वो कैसे
निकाल पाते।
बेपर्दां होने के बाद
मुँह कैसे दिखाते।
कमज़ोर दिल औरतें
नहीं होती मर्दं जात
मर्दं होने का दावा करते
है, मगर बेवफ़ाई खुदगर्ज़ी
का अलाम ऐलान ए पक
करता है,
मोहब्बत में जमुँह वालों
जलाने वालों को सारे आम करता है।
मेरे कुछ शब्द पसंद ना आए तो बता देना,
कड़वे घुट पीने के नियम बता देना।
कुसूर दिल का हाल बयान कर देता है
कुसुरवर कोई और बेगुनाहं कोई
और साबित हो जाता है।
