अन्न-धन-कामानुरागस्य च , पञ्चमे ज्ञान-बुभुक्षा । अन्न-धन-कामानुरागस्य च , पञ्चमे ज्ञान-बुभुक्षा ।
किसी का किसी पर न प्रभाव रहता मन में संतुष्टि का भाव रहता। किसी का किसी पर न प्रभाव रहता मन में संतुष्टि का भाव रहता।
चीर कर हल से, अन्न देवता को जगाता हूँ, फिर भी, अन्न कम, मैं किसान कहलाता हूँ। चीर कर हल से, अन्न देवता को जगाता हूँ, फिर भी, अन्न कम, मैं किसान कहलाता हूँ।
अक्स बनाए स्वयं को उसका, धर्म सजाए, कर्म के रूप। अक्स बनाए स्वयं को उसका, धर्म सजाए, कर्म के रूप।
पानी बिना अन्न नाही खइबा का सोना चानी। सुना हो दिलवरजानी बिना पानी बेकार ज़िंदगानी। पानी बिना अन्न नाही खइबा का सोना चानी। सुना हो दिलवरजानी बिना पानी बेक...
भेद मिटाना चाहती हूं अमन चाहती हूं शांति चाहती हूं। भेद मिटाना चाहती हूं अमन चाहती हूं शांति चाहती हूं।