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Ekta Kochar Relan

Abstract

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Ekta Kochar Relan

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मेरे सपनों का भारत

मेरे सपनों का भारत

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मेरे सपनों का भारत स्वच्छ 

बनाना चाहती हूं

आत्मा मर गयी जिनकी 

उनको जगााना चाहती हूं

रूह से रूह को जगााना चाहती हूं


मेरे सपनों का भारत स्वच्छ 

बनाना चाहती हूं

अतिथि देवो भव बनाना चाहती हूं

मेरा भारत था सोने की चिड़िया

वही बनाना चाहती हूं


जुड़े रहे सब मिट्टी से

नमन करे सब भारत भूमि को

भारतीय ही रहना चाहती हूं

मेरे सपनों का भारत स्वच्छ 

बनाना चाहती हूं


कहने को सब अपने

पाश्चात्य संस्कृति को घोल रहे लहू में

मैं उनमें देश भक्ति जगााना चाहती हूं

मेरे सपनों का भारत स्वच्छ 

बनाना चाहती हूं


लाखों लोग यहां बेघर है

घर दिलाना चाहती हूं

लाखों है बेरोजगार

हाथ न फैलाएं, 

कुछ भी सिखाना चाहती हूं


कही भूख से तड़प रहे

कहीं पकवान थाली में बच रहे

अन्न का हर दाना व्यर्थ ना गँवाना चाहती हूं

मेरे सपनों का भारत स्वच्छ 

बनाना चाहती हूं


हैवानियत न रहे किसी आंख में

नज़र हर पाक बनाना चाहती हूं

मेरे सपनों का भारत स्वच्छ 

बनाना चाहती हूं


हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई का

भेद मिटाना चाहती हूं

अमन चाहती हूं

शांति चाहती हूं।


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