भारत के रत्न
भारत के रत्न
नफ़रत की भाषा को
अब हम भुला देंगे।
हम युवा है भारत के
गुलशन महका देंगे।।
मिट्टी से हमने सीखा
सब को गले लगाना।
रग-रग में बसा है
काम सबके आना।।
खून में हमारे वफ़ा
ही आती है।
प्यारी ये भाषा उत्साह
जगाती है।।
मेरे भारत के रत्नों तुम
भारत की जान हो।
तुम हिंद का गौरव हो,
हिंद का मान हो।।
तुम्हारे बुलन्द इरादे,
देश मजबूत बनाएँगे।
बस हौसला रखना,
तुम जहां की धड़कन हो।
देश की उन्नति की तुम
तस्वीर हो।
तुम में है अथाह शक्ति,
तुम्हें अंधकार मिटाना है।
आज प्रण ये कर लो,
कुरीतियों को जड़ से
मिटाना है।।
समानता का भाव हर
रूह में जगाना है।।
जय हिंद