परिंदे
परिंदे
कुछ नया ढूंढने की तलाश
हर रोज करते हैं,
यही सोच कर परिंदे
घर से निकलते हैं।
आज कुछ मुकाम
हासिल कर जाएंगे,
तिनका-तिनका जोड़
एक घरोंदा ऐसा बनाएंगे,
जहां सूकुन से अपना
बसेरा बसाएंगे।
चाहत है मेरी
मैं भी उड़ जाऊँ,
उस नीले गगन में
बसेरा बसाऊँ,
जहां इंद्र धनुष के रंगों से सजी
एक दुनिया तैरती है अंबर में।
