नयी सुबह का आगाज़
नयी सुबह का आगाज़
हर तरफ उदासी है पसरी हुई
जंजीरों में किस्मत जैसे जुड़ी हुई
काले बादलों का साया सा गहराया है
तेज़ हवाओं ने मन में हलचल मचाया है
रास्ता कहीं नज़र आता नहीं
दूर तक साथ कोई जाता नहीं
वर्षा ना लेती है थमने का नाम
कैसे पहुँचे कोई अपने मुकाम
लेकिन हिम्मत हारकर बैठना नहीं
आसान राह पर कब मंज़िल मिली
लगन और आत्मविश्वास के औज़ार से
भेद दे दीवार हो आज़ाद हर बंधन से
चमकता हुआ सूर्य तेरी प्रतीक्षा कर रहा
तू भला क्यों और किस बात से है डर रहा
सब उदासी छंट जाएगी
सूर्य की किरण
नयी सुबह का आगाज लेकर आएगी
जंजीरें तुझे रोक ना पाएँगी
एक दिन तेरी मंज़िल तुझे खुद मिलने आएगी!